Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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जैसा बर्ताव तुम अपने लिए चाहते हो
जैसा बर्ताव, तुम अपने लिए चाहते हो मुझसे मैं चाहता हूँ वैसा ही बर्ताव, किया करो मुझसे ~ मनीष शर्मा
सही फ़ैसलों पे
जीवन बीतेगा ख़ुशगवार या गुज़रेगा समझौतों मेंतय होता है ये बाली उमर की क़िताबी मेहनत पे जीवन बीतेगा खुशहाल या गुज़रेगा झमेलों मेंतय होता है ये बाली उमर के सही फ़ैसलों पे जीवन बीतेगा ख़ुशगवार या गुज़रेगा समझौतों मेंतय होता है ये सब कुछ वक़्त और हालातों पे ~ मनीष शर्मा
ये कोई भी जाने ना
कितनी ज़िंदगी किसके हिस्से, ये कोई भी जाने ना कुछ पर हक़ हमारा हो, कुछ किसी के नाम लुटा दें ~ मनीष शर्मा
बिखर जो रही है रोशनी
मिटा देगी ये दिवाली, तमस के सारे अँधेरे बिखर जो रही है रोशनी, हर एक दरीचे से ~ मनीष शर्मा
अपनी ख़ुशियों का गला
दुनिया की नज़र में हमेशा अच्छा बने रहने की क़ीमत अपनी ख़ुशियों का गला घोंटकर के चुकाई है मैंनें ~ मनीष शर्मा
दुनिया ये काम
मैं अब ख़ुद में कभी, कोई नुक़्स नहीं ढूँढता दुनिया ये काम मुफ़्त में, बख़ूबी कर लेती है ~ मनीष शर्मा