निजता और आबरू के अलावा सब कुछ सुरक्षित है
सोशियल मीडिया के इस युग में, इंसान की निजता (Privacy) और आबरू के अलावा सब कुछ सुरक्षित है। ~ मनीष शर्मा
सोशियल मीडिया के इस युग में, इंसान की निजता (Privacy) और आबरू के अलावा सब कुछ सुरक्षित है। ~ मनीष शर्मा
हम उन लोगों के प्रतिबिम्ब हैंजिन लोगों से हम प्रभावित हैं ~ मनीष शर्मा
जिस दिन मैं कोई क़िताब नहीं पढ़ताजिस दिन मैं कुछ नया नहीं सीखताहोता है वो दिन बहुत ज़्यादा मनहूसउस दिन को मैं दिन भी नहीं गिनता ~ मनीष शर्मा
इंसान के अच्छे बने रहने की केवल दो शर्तें हैं, पहली, व्यक्ति की संगत ज़िंदगीभर अच्छे लोगों के साथ रहे और अच्छे लोग नहीं ढूँढ पा रहा हो तो अकेला रहे। दूसरी, बुरे लोगों से कोई अहसान ना ले। ~ मनीष शर्मा
मैं अपनी ख़ल्वत में कोई भी ख़लल नहीं चाहताइसीलिए मैं किसी के भी बेहद क़रीब नहीं जाता ~ मनीष शर्मा
मैंने 8 दिसंबर की शाम फ़िल्म पुष्पा2 देखी। फ़िल्म पुष्पा और पुष्पा2, बाहुबली इस बात की पुष्टि करती है कि कॉन्टेंट अगर अच्छा हो, तो उसकी लंबाई कोई मायने नहीं रखती। कुछ दशकों पहले फ़िल्मों और गीतों की लंबाई ज़्यादा हुआ करती थी। लंबाई ज़्यादा इसलिये भी कि देखने वाले और सुनने वालों के पास…
ख़ुद को ख़ुद से बेहतरकोई नहीं जान सकता ~ मनीष शर्मा
अंततः इंसान अच्छी और बुरी स्मृतियों से ज़्यादा कुछ नहीं। ~ मनीष शर्मा
हवा बहुत शुद्ध है गाँवों की, छोटे शहरों कीलेकिन प्रेमियों का बहुत दम, घुटता है वहाँहवा भले ही अशुद्ध है, बड़े-बड़े शहरों कीपर खुल के साँस लेते हैं, उड़ते हैं प्रेमी यहाँ ~ मनीष शर्मा
विनम्र छात्र बनकर ज़िंदगी भर सीखेगा जोजीवन के उच्च शिखर पर ज़रूर पहुँचेगा वोकेवल शिक्षक ही हैं सबसे सच्चे पथप्रदर्शकजो बताते हैं हमें ज्ञान अर्जन के महत्व को ~ मनीष शर्मा