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पुष्पा-२ पर मेरा नज़रिया

मैंने 8 दिसंबर की शाम फ़िल्म पुष्पा2 देखी। फ़िल्म पुष्पा और पुष्पा2, बाहुबली इस बात की पुष्टि करती है कि कॉन्टेंट अगर अच्छा हो, तो उसकी लंबाई कोई मायने नहीं रखती। कुछ दशकों पहले फ़िल्मों और गीतों की लंबाई ज़्यादा हुआ करती थी। लंबाई ज़्यादा इसलिये भी कि देखने वाले और सुनने वालों के पास…

चरित्र का आंकलन दैहिक ना होकर

अक़्सर हम लोग समाज में देखते हैं, कि किसी भी व्यक्ति (महिला व पुरूष) को सामाजिक, आर्थिक रूप से तोड़ने, उसको ख़ुद की ही नज़र में गिराने और उसकी प्रतिष्ठा ख़त्म करने के उद्देश्य से चरित्र हनन (Character Assassination) किया जाता रहा है। कईं बार चरित्र हनन वास्तविक होता है, कईं बार झूठा। जहाँ वास्तविक…