Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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पलकें झपक ना जाये कहीं
आँखों की कोर पर कुछ ख़्वाब रखे हैं मैंने डरता हूँ पलकें झपक ना जाये कहीं ~ मनीष शर्मा
आज उसका, कल मेरा
देकर मुझे उक़ूबत, लुत्फ़ बहुत मिलता है उसे वक़्त, वक़्त की बात है, आज उसका, कल मेरा ~ मनीष शर्मा
बटोहिया
बटोहिया उबड़ खाबड़ हो भले डगरियारात हो स्याह या उष्ण दुपहरियाहो के चिंतामुक्त बैठो बैलगाड़ी मेंसखी सखा हम तुम्हारे बटोहिया। ~ मनीष शर्मा
उसे पा लूँ या फिर
ख़्वाहिश बस इतनी सी हैं या तो उसे पा लूँ या फिर उसकी आस्तां पर अब ये दम निकले ~ मनीष शर्मा
नक़ाबपोश होकर ना आया करो
तुम मुझसे मिलने, नक़ाबपोश होकर ना आया करो डरता हूँ ज़माना कहीं हवस नाम ना दे दे रूहानी इश्क को ~ मनीष शर्मा
तुम्हारा रंग बदलने से पहले
मैं हमेशा वो ही सब देखता रहा, जो तुम मुझे दिखाती रही तुम्हारा रंग बदलने से पहले, मैंने गिरगिट के बारे में सिर्फ़ सुना था ~ मनीष शर्मा