Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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दुनिया से मिलता हूँ
दुनिया से मिलता हूँ फ़र्ज़ी मुस्कुराहट के साथ खिलखिलाकर हंसनें की सारी वजहें तो तुम अपने साथ ले गयी ~ मनीष शर्मा
उस गली में है
उस गली में है रे महबूब का घर जहाँ इंसान तो रहते हैं, बसते नहीं ~ मनीष शर्मा
मैं दर्द ए दिल बयाँ
मैं दर्द ए दिल बयाँ, अश्क़ों से नहीं, लफ़्ज़ों से करता हूँ मैंने ज़माने को अश्क़ों पे हँसते, लफ़्ज़ों पे रोते देखा है ~ मनीष शर्मा
मैं इश्क की ख़ुराक पर ही ज़िंदा हूँ
गुलाबी नगरी का वाशिदां हूँ मेहरम, फ़ितरत से नहीं रिंदा हूँ चूम लेने दो गुलाब सरीके लबों को मैं इश्क की ख़ुराक पर ही ज़िंदा हूँ ~ मनीष शर्मा
हम ना बदलें
वक़्त के साथ, सब कुछ बदल जाता है वक़्त बदले, हम ना बदलें, तो बात बने ~ मनीष शर्मा
कोई भी जाने ना
बेनाम से पथ के पथिक हैं हम सब जाना किसे कहाँ कोई भी जाने ना ~ मनीष शर्मा