Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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जहाँ मुझे नासा और गूगल भी ना ढूँढ सके
मैं अपनी तन्हाई के संग वहाँ जाना चाहता हूँ जहाँ मुझे नासा और गूगल भी ना ढूँढ सके ~ मनीष शर्मा
मुस्कुराये हुए एक अरसा हुआ
मुस्कुराये हुए एक अरसा हुआ ख़ुशी के बहाने ढूँढें नहीं मिलते ग़मों से रिश्ता गहरा हुआ तन्हाई संग मेरे दिन रैन गुज़रे ~ मनीष शर्मा
ना कोई शिक़वा
ना कोई शिक़वा, ना कोई मलाल चाहने वाले ऐसे ज़ुदा हुए हैं कभी ? ~ मनीष शर्मा
जीते जी मिलने ना देंगे
जीते जी मिलने ना देंगे उससे जिससे बेपनाह मुहब्बत है मुझे कम्बख़त मरने के बाद दो रूहों को मिलने से रोकेगा कौन ? ~ मनीष शर्मा
मुझमें ख़ामियाँ ढूँढें
क़रीबी, हमेशा मुझमें ख़ामियाँ ढूँढें ख़ूबियाँ ढूँढने के लिए दुनिया है ही ~ मनीष शर्मा
पिता है वृक्ष
मैं भटकता पंछी, पिता है वृक्ष साया दे, छायाँ दे, संरक्षण दे साध सकूँ मैं अपना हर लक्ष्य पिता मेरे धनुष को वो बाण दे निराशा के तमस को दूर कर मुझे नित नई रोशनी का प्राण दे मैं भटकता पंछी, पिता है वृक्ष साया दे, छायाँ दे, संरक्षण दे ~ मनीष शर्मा