Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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लफ़्ज़ों में
लफ़्ज़ों में जो मैंने कहा वो सब तुमने सुना मेरी ख़ामोशियों ने मेरे भीतर ख़ुदकुशी कर ली ~ मनीष शर्मा
दुनिया छोटी है
उसे देखे, एक ज़माना गुज़रा कौन कहता है, दुनिया छोटी है ~ मनीष शर्मा
मैं तेरा अपना ना हुआ होता
अब तू मिलता है ग़ैरों से हँस हँस के काश! मैं तेरा अपना ना हुआ होता ~ मनीष शर्मा
तुम्हारे चले जाने का मलाल
तुम्हारे चले जाने का मलाल भी भला कब तक तुम ज़िंदगी में तो थे मेरे पर ज़िंदगी शायद नहीं ~ मनीष शर्मा
मेरी हैसियत पूछी सभी ने
ना ख़ैरियत पूछी किसी ने ना कैफ़ियत पूछी किसी ने जिस गली से भी मैं गुज़रा मेरी हैसियत पूछी सभी ने ~ मनीष शर्मा
हार जाने की ख़ातिर
जग जीता था जिन्होनें मृत्यु उन्हें परास्त करके जीत गई सब कुछ जीतना चाहता हूँ मैं भी एक दिन सब कुछ हार जाने की ख़ातिर ~ मनीष शर्मा