Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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खिलौने बदल लिए
हम बड़े हुए, खिलौने बदल लिए पहले काठ के थे, अब कागज़ के ~ मनीष शर्मा
पन्ने नहीं पलटे
मुकद्दर की धूल झाड़ रहा हूँ कब से ख़ुदा ने इसके पन्ने नहीं पलटे ~ मनीष शर्मा
वो चैन से भूखे सो गये
वो चैन से भूखे सो गये, काला आसमान ओढ़कर के हम तुम खा पीकर के भी, करवटें बदलते हैं रात भर ~ मनीष शर्मा
मोहब्बत का एक दिन मुक़र्रर ना कर ऐ दुनिया
मोहब्बत का एक दिन मुक़र्रर ना कर ऐ दुनिया मैं उसके बग़ैर एक पल भी अब जी नहीं सकता ~ मनीष शर्मा
ज़िंदगी है महाठगनी
ज़िंदगी है महाठगनी, छलावा है काया अब ना मोह बचा मुझमें ना ही माया भ्रम का पर्दा बड़ा ही रूपहला वा ना दिखता जो देखना चाहा ~ मनीष शर्मा
मेरी अंगुलियाँ
ज़िंदगी तब बड़ी ही सुलझी-सुलझी हुई सी लगती थी तुम्हारी उलझी ज़ुल्फों को जब सुलझाती थीं, मेरी अंगुलियाँ ~ मनीष शर्मा