Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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वफ़ात पाने से
वफ़ात पाने से गर निजात मिल जाती हर मसले से कोई भी इंसान अतली कश्मकश ना करता जहाँ में ~ मनीष शर्मा
जीना है कैसे
इस नाक़िस दुनिया में जीना है कैसे दुनिया बनाने वाले ने ये नहीं बताया ~ मनीष शर्मा
अंधेरे पी गये
ख़्वाबों को जला जला कर के रोशनी कर रहा हूँ मेरी ज़िंदगी के सारे उजाले ये घने अंधेरे पी गये ~ मनीष शर्मा
इंसान की चुगली
इंसान की चुगली, मैं उस ख़ुदा से करूँगा धरती का इंसान ख़ुद को ख़ुदा समझने लगा है ~ मनीष शर्मा
ख़्वाहिशों का गला घोंट दें
ख़्वाहिशों से बोझिल हैं पलकें चलो, ख़्वाहिशों का गला घोंट दें ~ मनीष शर्मा
तुम्हारा रंग बदलने से पहले
मैं हमेशा वो ही सब देखता रहा, जो तुम मुझे दिखाती रही तुम्हारा रंग बदलने से पहले, मैंने गिरगिट के बारे में सिर्फ़ सुना था ~ मनीष शर्मा