Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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शायर ज़रूर बन गया हूँ मैं
पाठ्यक्रम की किताबें, एक बार से ज़्यादा कभी पढ़ी नहीं मैंने तुझे सौ मर्तबा पढ़कर मेहरम, शायर ज़रूर बन गया हूँ मैं ~ मनीष शर्मा
जो सबक मुझे ज़माने ने
जो सबक मुझे ज़माने ने उलतफात सिखाया काश असातजा ने सिखाया होता मकतब में ~ मनीष शर्मा
ये मैं कृष्ण से पूछ रहा हूँ
श्रीमद्भागवत गीता के भीतर उतरकर, ख़ुद को ढूँढ रहा हूँ कौन हूँ मैं, क्यूँ हूँ मैं, कहाँ हूँ मैं, ये मैं कृष्ण से पूछ रहा हूँ ~ मनीष शर्मा
उम्र फिसलती रही
सिक्कों के हिसाब किताब में बुद्धि खनकती रही वक़्त के साथ तजुर्बा बढ़ा उम्र फिसलती रही ~ मनीष शर्मा
दो नक़ाब लगाए घूमता हूँ
मेरी शख्शियत का अंदाज़ा सूरत से ना लगाना मैं हमेशा चेहरे पर दो नक़ाब लगाए घूमता हूँ ~ मनीष शर्मा
कोई भेद ना खोलो
रिश्ते गिरगिट हैं ज़रूर संग बदलेंगें टूट जाने के बाद कोई भेद ना खोलो बेहतर है चुप ही रह लो कल सरे आम ना हो जाओ तुम ~ मनीष शर्मा