Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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चैन ओ सूकूँ से
सारा जहाँ सो रहा है चैन ओ सूकूँ से मेरी नींदें तो गिरवी हैं तुम्हारे पास ~ मनीष शर्मा
इश्क के सफ़र की
जहाँ से चला मैं, वहीँ पर आ के रुका इश्क के सफ़र की, मंज़िल नहीं होती ~ मनीष शर्मा
हर इक दफ़े मैं तुम पर हारा हूँ
तुम्हारा दिल जीतना मेरी आख़िरी जीत थी इसके बाद तो हर इक दफ़े मैं तुम पर हारा हूँ ~ मनीष शर्मा
इक कुफ़्र दिखी
कुछ दिलों में अपने लिये इक कुफ़्र दिखी बसेरा बदलना बेहतर, बाद जल जाने के ~ मनीष शर्मा
लौट गया संगदिल सनम
दहलीज़ तक आकर के लौट गया संगदिल सनम अब खोलूँ ना दरवाज़ा खटखटाये चाहे ख़ुदा भी ~ मनीष शर्मा
दम घुटने लगा है
साँस ले रही है नफ़रतें अब खुली हवा में दम घुटने लगा है प्रेम का बंद कमरों में ~ मनीष शर्मा
