Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
Similar Posts
दिशा ही दशा
गर बिगड़े तो दुर्दशा, गर सुधरे तो कहकशाँ समझें सब ये बात ज़रा सी, दिशा ही दशा ~ मनीष शर्मा
बटोहिया
बटोहिया उबड़ खाबड़ हो भले डगरियारात हो स्याह या उष्ण दुपहरियाहो के चिंतामुक्त बैठो बैलगाड़ी मेंसखी सखा हम तुम्हारे बटोहिया। ~ मनीष शर्मा
इश्क के सफ़र की
जहाँ से चला मैं, वहीँ पर आ के रुका इश्क के सफ़र की, मंज़िल नहीं होती ~ मनीष शर्मा
इंसानी तो जहाँ में
इंसानी तो जहाँ में आते जाते रहेंगे मईशत आलमी अमल हरसूं रहेगी ~ मनीष शर्मा
आह ना निकली होती
ज़माने से वाह वाह, ना निकली होती गर मेरे दिल से, आह ना निकली होती ~ मनीष शर्मा
बुज़दिल क़ाफ़िर
जीते जी दोज़ख़ चुन रहे हैं बाद जन्नत पाने की ख़ातिर बेगुनाहों को मौत बाँट रहे है रब की आड़ में बुज़दिल क़ाफ़िर ~ मनीष शर्मा