Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
Similar Posts
कभी कोई उदास ना दिखेगा
तारीख़ एक के जैसी हो, गर तारीख़ तीस कभी कोई उदास ना दिखेगा, ज़िंदगी में ~ मनीष शर्मा
मेरा इश्क़ साइनाइट से कम नहीं
मत कर मुझसे इतनी मुहब्बत मेरा इश्क़ साइनाइट से कम नहीं ~ मनीष शर्मा
उन कोरे ख़तों को
ना जाने कितनी मर्तबा पढ़ा होगा मैंने, तुम्हारे भेजे उन कोरे ख़तों को ~ मनीष शर्मा
ख़ामख़्वाह घूमता हूँ शहर में
बदनाम होकर के ज़्यादा नाम ज़्यादा माल कमाने लगे हैं लोग मै सफ़ेद कपड़े पहनकर ख़ामख़्वाह घूमता हूँ शहर में ~ मनीष शर्मा
राह किनारे
सर्द रात हम दुबके सिहरते रहते हैं रजाई में और घरों में बेबसी बिन सिहरन नीला गगन ओढ़ सो जाती हैं राह किनारे ~ मनीष शर्मा
जब भी मिलती है
जब भी मिलती है तब वो नज़रें चुराती है मुझसे मैं भुला चुका हूँ बेवफ़ाई कोई जाके बता दो उसे ~ मनीष शर्मा