Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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कवि और शायर ना होता
लोग कहते हैं मैं बड़ा उलझा उलझा सा शख़्स हूँ मैं कहता हूँ गर मैं सुलझा सुलझा सा होता तो शायद ’’कवि और शायर’’ ना होता ~ मनीष शर्मा
मैं सुलग रहा हूँ तेरे बिना
सर्द रातें लोग ठिठुर रहे हैं मैं सुलग रहा हूँ तेरे बिना ~ मनीष शर्मा
ख़ुद की इमदाद
ख़ुद की इमदाद, ख़ुद कर बंदे दुनिया करेगी, तो सौदा करेगी ~ मनीष शर्मा
बहुत सी बातें
बहुत सी बातें उम्रों के दरम्यां फ़ासलों में दफ़न हो जाती हैं काश ये उम्र ना होती और मैं वो कह पाता जो तुम सुनना चाहती हो ~ मनीष शर्मा
मृत्युशय्या पर तू इंतज़ार करेगा
मृत्युशय्या पर तू इंतज़ार करेगा, जिनसे मिलने का मौसर पर वही लोग, अंगुलियाँ चाटते नज़र आयेगें ’’मनीष’’ ~ मनीष शर्मा
मैं मिलता जुलता ही नहीं किसी से
मैं मिलता जुलता ही नहीं किसी से कोई मुझसे आके मिले भी तो क्यों ? ~ मनीष शर्मा