Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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कभी कोई उदास ना दिखेगा
तारीख़ एक के जैसी हो, गर तारीख़ तीस कभी कोई उदास ना दिखेगा, ज़िंदगी में ~ मनीष शर्मा
ज़ाइक़ा नीम का
जिसकी ज़िंदगी में, कभी कोई आज़ार ना आयी उस शख़्स की ज़ुबाँ क्या जाने, ज़ाइक़ा नीम का ~ मनीष शर्मा
अच्छी और बुरी स्मृतियाँ
अंततः इंसान अच्छी और बुरी स्मृतियों से ज़्यादा कुछ नहीं। ~ मनीष शर्मा
हमारे व्यक्तित्व के परिचायक होते हैं
हमारे द्वारा कहे गए लफ़्ज़ और लिखे गए शब्द, हमारे व्यक्तित्व के परिचायक होते हैं। इनका सटीक इस्तेमाल ही ये तय करता है कि हम कितनी इज़्ज़त मिले जाने के हक़दार हैं। ~ मनीष शर्मा
जो भटकने से बहुत डरते हों
जो भटकने से बहुत डरते हों वो मंज़िल का ख़्वाब ना देखें ~ मनीष शर्मा
अब इज़्ज़त सिर्फ़ उसी को दूँगा
थक चुका हूँ मैं, बेक़दरों का लिहाज़ रखते रखते अब इज़्ज़त सिर्फ़ उसी को दूँगा, जो लायक़ होगा ~ मनीष शर्मा
