मनभावन होली
उड़े गुलाल चहुमुखी सतरंगी, पचरंगी
सारे जहाँ को अपने रंग से रंगती
लाल-गुलाबी, पीले-नीले रंगो की फुहार
खुशी उल्लास से भरी मनरंगी बहार
जन-जन के मन में प्यार का रंग भर दे
हर एक के मन को उमंग के रंग से भर दे
फिज़ाओं में मदमस्त रंगों का नशा फैले
फूलों संग कलियाँ भी खूशबू से होली खेलें
बगिया के भंवरे गुंजन करते, फुलों संग होली खेलें
हरे भरे पत्ते भी रंग चंचल हवाओं से ले ले
आसमां पर धनक का रंग अनोखा
सूरज चाँद सितारों को अपने रंग से पिरोता
जन्नत की अप्सरायें रंग बरसाये जमीं पे
वाणी से टपके माधुर्य रूपी रंग सभी के
नयनों को नयनों से जोड़े
हम होली के रंग में रंग
पावन काया निर्मल मन
खेलें होली हम संग-संग
खेलें होली हम संग-संग
~ मनीष शर्मा