क्यों तुम शरमाती हो
दूर से मुझको देखकर के
कुछ बड़बड़ाती हो
दूर से मुझको देखकर के
कुछ बड़बड़ाती हो
पास आने पर मेरे
क्यों चुप हो जाती हो
दूर से मुझको देखकर के
कुछ इतराती हो
दूर से मुझको देखकर के
कुछ इतराती हो
पास आने पर मेरे
क्यों तुम घबराती हो
दूर से मुझको देखकर के
पलकें उठाती हो
दूर से मुझको देखकर के
पलकें उठाती हो
पास आने पर मेरे
क्यों पलकें झुकाती हो
दूर से मुझको देखकर के
कुछ इठलाती हो
दूर से मुझको देखकर के
कुछ बलखाती हो
पास आने पर मेरे
क्यों तुम शरमाती हो
~ मनीष शर्मा