जीने के लिये चंद साँसें चाहिये
किसी को ज़मीन चाहिये
तो किसी को आसमान चाहिये
किसी को दौलत चाहिये
तो किसी को शौहरत चाहिये
किसी को युद्ध चाहिये
तो किसी को नफ़रत चाहिये
किसी को राजनीति चाहिये
तो किसी को आरक्षण चाहिये
उस शख़्श से पूछो ज़िंदगी के मायने
जिसे पेट भरने के लिये एक सूखी रोटी चाहिये
उस शख़्श से पूछो ज़िंदगी के मायने
जिसे तन ढकने के लिये कुछ कपड़े चाहिये
उस शख़्श से पूछो ज़िंदगी के मायने
जिसे उदासियों की आड़ में इक हल्की सी मुस्कान चाहिये
उस शख़्श से पूछो ज़िंदगी के मायने
जिसे जीने के लिये चंद साँसें चाहियेl
~ मनीष शर्मा