आओ खेलें होली
रंजोग़म भुलाकर
छलक रहे हैं रंग सारे
प्यारे प्यारे
खुशियों से लबालब
छलक रहे है रंग सारे
प्यारे प्यारे
मस्ती में सराबोर है
आलम सारा
अलहदा सा है अल्हड़
अन्दाज़ न्यारा
फ़िज़ा में जो रंग है
इस मर्तबा
ऐसा पहले ना था
घटा में जो उमंग है
इस मर्तबा
ऐसा पहले ना थी
आओ भर लें
झोली प्रेम के रंगों से
इस मर्तबा
आओ खेलें होली
प्रेम के रंगों से
इस मर्तबा
बरसाने के उल्लास जैसी
राधा कृष्ण के महारास जैसी
आओ खेलें होली
आओ खेलें होली
~ मनीष शर्मा