Batohiya बटोहिया

मैं फ़िर से खो जाना चाहता हूँ

मैं फ़िर से खो जाना चाहता हूँ दुनिया की भीड़ में उम्मीद, शायद फिर कहीं से ढूँढने तुम आ जाओ एक बार ~ मनीष शर्मा

काँची

माड़साब! ये बालविवाह क्या होता हैं? धीमी सी आवाज़ में काँची ने अपना सिर उठाते हुए पूछा। काँची का सवाल माड़साब के कानों में पड़ते ही उनके हाथ से चोक नीचे गिर गई। ऐसा लगने लगा, जैसे काँची ने सवाल नहीं कोई चीत्कार की हो। एकाएक उन्होनें मुड़कर काँची को देखा। माड़साब के चेहरे पर…