Author: Manish Sharma

Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer. JMFA 2017 Winner of the best lyricist.

दूजे के पास ज़्यादा क्यूँ है

बशर का ग़म ये नहीं है कि उसके पास दौलत कम है वो ग़म में डूबा इसलिए कि दूजे के पास ज़्यादा क्यूँ है ? ~ मनीष शर्मा

जिस्म के ज़ख़्मों को

जिस्म के ज़ख़्मों को मरहम मिला रुह के ज़ख़्मों को कुरेदा सभी ने मेरी ख़ुशियों में तो थे शरीक़ सभी हुआ ग़मगीन तन्हा छोड़ा सभी ने ~ मनीष शर्मा