Author: Manish Sharma

Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer. JMFA 2017 Winner of the best lyricist.

Kesariya Balma Project #13

Project No. #13, Date – 25.12.2019 Album : Kesariya Balma Singer : Neil Ingle Music : Rajat Godde Lyrics : Manish Sharma Youtube Link : https://bit.ly/365QzWv Saavn Link : https://bit.ly/35xH2GI Hungama Link : https://bit.ly/2t0Csnh Amazon Link : https://amzn.to/2FyJ7aI Gaana.com : https://bit.ly/36fe1zP Lyrics – Song : Kesariya Balma Videshi nariyon kaise fislun Tum me baat vo nahi Dance angrezi karti ho jo…

O Meri Soniye Project #12

Project No. #12, Date – 24.10.2019 Album : O Meri Soniye Singer : Akshay Sharma Music : Himanshu Katara Lyrics : Manish Sharma Youtube Link : https://bit.ly/2OHfv0i Lyrics – गीत : ओ मेरी सोणिये मुखड़ा : मेल : ओ मेरी सोणिये सजदे थे सौ किये तब जाके तू मिली है अब मुझे ओ मेरी हीरिये पा लिया…

Jeev Ri Jadi Project #09

Project No. #09, Date – 17.05.2019   Album : Jeev Ri Jadi Rajasthani Song Singer : Rajeev Purohit Music : Himanshu Katara Lyrics : Manish Sharma Youtube Link : https://bit.ly/2Z00Sb8 Saavn link : https://bit.ly/3mc8PoZ Soundcloud Link : https://bit.ly/3b4w3Y3 Lyrics – Song : Jeev Ri Jadi Jad jad thane main jou Man khave hilor Man reve koni bas me Mahri…

किन रंगों को मैं उछालूँ ?

होली के पर्व पर मेरी ये रचना सरहद पर मुस्तैद जवानों को समर्पित। किन रंगों को मैं उछालूँ ?क्या ? उन रंगों को मैं उछालूँजिन रंगों से माँ की ओढ़नी कोबन रंगरेज़ा नितदिन रंगा करता था किन रंगों को मैं उछालूँ ?क्या ? उन रंगों को मैं उछालूँजो बचपन में दोस्तों संगहोली में खेला करता…

Barmer Ratan 2018 | बाड़मेर रत्न 2018

अपने शहर के इंद्रप्रस्थ रिसोर्ट, बाड़मेर (राजस्थान) में हुए कार्यक्रम बाड़मेर रत्न 2018 में बतौर गीतकार मुझे सम्मानित किया गया। I was honored the Barmer Ratan 2018 as a lyricist in my city indraprasth resort at barmer (rajasthan) Thank you event organizars & managers Sidharth Parmar ji, Hiten Ravish ji, Roshan Sarwata ji, Badal Singh…

आओ कुछ मशालें खरीद लें

आख़िर कब तक मोमबत्तियां लेकर यूँ ही सड़कों पर उतरेंगें आओ कुछ मशालें खरीद लें अस्मत के लुटरों को राख कर दें हम क्यूँ कुछ नहीं बदलता है क्या हमारी आँखों का पानी मर चुका है या सब कुछ मूक दर्शक की भाँति देख सहने की आदत डाल चुके हैं हम ख़ुद की सुरक्षा माँगना…

बचपन

ना जाने किस दिशा किस डगर जा रहा है हिंदुस्तान का बचपन पढ़ने लिखने की उम्र में गलियों कूचों का कचरा बीन रहा है बचपन तन पर कपड़े मैले कुचैले कंधो पे लादे फटे कट्टे लिए भविष्य ढूँढ रहा है बचपन बेचकर के कचरा कोड़ियों के दाम में बिक रहा है बचपन पैरों के तलवे…