Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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कोई सलाह
कोई सलाह, कोई मशविरा रास ना आता, अब मेरे दिल को तुम्हारी आँखों में, ख़ुद को देख लेने के बाद ~ मनीष शर्मा
पक्की दोस्ती करते हैं
बिन माचिस लगी दुश्मनी की आग में इंसान ज़िंदा जला करते हैं क्या जायेगा साथ ओ बन्दे आ हम तुम पक्की दोस्ती करते हैं ~ मनीष शर्मा
पिता है वृक्ष
मैं भटकता पंछी, पिता है वृक्ष साया दे, छायाँ दे, संरक्षण दे साध सकूँ मैं अपना हर लक्ष्य पिता मेरे धनुष को वो बाण दे निराशा के तमस को दूर कर मुझे नित नई रोशनी का प्राण दे मैं भटकता पंछी, पिता है वृक्ष साया दे, छायाँ दे, संरक्षण दे ~ मनीष शर्मा
कभी किसी पे ना करना तू ऐ मनीष
ख़ुद से ज़्यादा ऐतबार, कभी किसी पे ना करना तू ऐ “मनीष” जो अज़ीज़ आज गले मिलते हैं तपाक से, कल खंज़र घोपेंगे वही ~ मनीष शर्मा
जब भी मिलती है
जब भी मिलती है तब वो नज़रें चुराती है मुझसे मैं भुला चुका हूँ बेवफ़ाई कोई जाके बता दो उसे ~ मनीष शर्मा
ख़ामख़्वाह गिरगिट बदनाम है
ख़ामख़्वाह गिरगिट बदनाम है रंग ओ फ़ितरत बदलते इंसान भी तो रहते हैं इसी जहाँ में ~ मनीष शर्मा