Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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मैं फ़िर से खो जाना चाहता हूँ
मैं फ़िर से खो जाना चाहता हूँ दुनिया की भीड़ में उम्मीद, शायद फिर कहीं से ढूँढने तुम आ जाओ एक बार ~ मनीष शर्मा
मैं कुछ ख़्वाब बुनता हूँ
रात भर मूँदकर के आँखें मैं कुछ ख़्वाब बुनता हूँ सवेरे की रोशनी सारे ख़्वाबों का क़तरा क़तरा जला देती हैं ~ मनीष शर्मा
मिले किताबों में
ताउम्र जिन्हें मैं ढूँढता रहा ज़माने में वे सभी मुझे, छपे मिले किताबों में ~ मनीष शर्मा
चंद ग़लतियों की
चंद ग़लतियों की, सख़्त सज़ा मिली मुझे गुनहग़ार थे जो बारहां, बाइज़्ज़त बरी हुए ~ मनीष शर्मा
वफ़ात पाने से
वफ़ात पाने से गर निजात मिल जाती हर मसले से कोई भी इंसान अतली कश्मकश ना करता जहाँ में ~ मनीष शर्मा
मैं दर्द ए दिल बयाँ
मैं दर्द ए दिल बयाँ, अश्क़ों से नहीं, लफ़्ज़ों से करता हूँ मैंने ज़माने को अश्क़ों पे हँसते, लफ़्ज़ों पे रोते देखा है ~ मनीष शर्मा