Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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कोई किसी के दर्द को
कोई किसी के दर्द को, तब तक महसूस नहीं कर पाता जब तक कि व्यक्ति ख़ुद, दर्द से रूबरू नहीं हो जाता ~ मनीष शर्मा
चैन ओ सूकूँ से
सारा जहाँ सो रहा है चैन ओ सूकूँ से मेरी नींदें तो गिरवी हैं तुम्हारे पास ~ मनीष शर्मा
महरम को जी भर देखें अंधरे में
शुक्र है चाँद सोता रहता एक पखवाड़े तक रात भर तारे भी सो जायें तो महरम को जी भर देखें अंधरे में ~ मनीष शर्मा
क्या फ़ायदा मिलने का
तुम अब रहने दो क्या फ़ायदा मिलने का जब हम मिलते भी हैं तो फ़ायदे के लिए ~ मनीष शर्मा
अब आदत सी हो चली है
अब आदत सी हो चली है मेरे ज़ख़्मों को ज़माने के नमक की तुम मरहम का जिक्र ना किया करो ज़ख़्म ज़्यादा हरे होने लगते हैं ~ मनीष शर्मा
तुम मुझे रुसवा कर गयी ज़माने में
एक टक ज़ज्बातों को बयाँ कर रही थी मेरी ये दो आँखें नज़रें चुराकर, तुम मुझे रुसवा कर गयी ज़माने में ~ मनीष शर्मा