नारी तू शक्ति है
जाने कितने युग है बीते
जाने कितनी सदियाँ
हर इक युग है तेरी गाथा
हर इक सदी बस तेरी माया
तेरा वर्चस्व तू ही है
दूजा ना कोई ओर
तेरे आगे नतमस्तक है
दिशायें भी चारों ओर
जितनी शीतलता है तुझमें
उतनी भीष्ण उष्णता
जितनी ख़ामोशी है तुझमें
उतनी क्रोधाग्नि की ज्वाला
जितना दर्द तू सहती है
उतना प्रेम तू देती है
कितना धीरज धरे है तू
कितना कुछ सहे है तू
फ़िर भी उफ़ ना करे है तू
तू ना रूकी कभी
तू ना थकी कभी
तू ना झुकी कभी
तुझ जैसा कोई ना है
तुझ जैसा कहीं ना है
नारी तू शक्ति है
नारी तू भक्ति है
नारी तू शक्ति है
नारी तू भक्ति है
~ मनीष शर्मा