Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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मुस्कुराये हुए एक अरसा हुआ
मुस्कुराये हुए एक अरसा हुआ ख़ुशी के बहाने ढूँढें नहीं मिलते ग़मों से रिश्ता गहरा हुआ तन्हाई संग मेरे दिन रैन गुज़रे ~ मनीष शर्मा
मुतलक़ ज़िंदगी
मुतलक़ ज़िंदगी, जो भी बशर है जी रहा असल में ज़िंदगी वही, बाकी सब फ़रेब ~ मनीष शर्मा
मेरी शिकस्त
मेरी शिकस्त मुक्कम्मल मंज़ूर है मुझे शर्त ये है कि जीत हर दफ़े सिर्फ तुम्हारी ही हो ~ मनीष शर्मा
सर्द रात
सर्द रात चाँद की चाँदनी से ही ख़ुद को सेंक लेता हूँ जलता है जब बदन तो तेरी यादों के दरिया में डुबकी ले लेता हूँ ~ मनीष शर्मा
अंधेरे पी गये
ख़्वाबों को जला जला कर के रोशनी कर रहा हूँ मेरी ज़िंदगी के सारे उजाले ये घने अंधेरे पी गये ~ मनीष शर्मा
मैं तेरा अपना ना हुआ होता
अब तू मिलता है ग़ैरों से हँस हँस के काश! मैं तेरा अपना ना हुआ होता ~ मनीष शर्मा